ग्रीन GNP (Green GNP) क्या है?
ग्रीन GNP (Green Gross National Product) एक संशोधित आर्थिक सूचकांक है, जो पारंपरिक GNP से पर्यावरणीय हानि और प्राकृतिक संसाधनों की कमी को घटाकर प्राप्त किया जाता है। यह सतत विकास (Sustainable Development) को मापने का एक तरीका है, जिससे यह समझा जा सके कि आर्थिक वृद्धि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए हो रही है या नहीं।
ग्रीन GNP का सूत्र
ग्रीन GNP = GNP - प्राकृतिक संसाधनों की हानि - पर्यावरणीय क्षतिजहाँ,
- GNP = देश के नागरिकों द्वारा घरेलू और विदेशी स्तर पर उत्पन्न वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य
- प्राकृतिक संसाधनों की हानि = वनों की कटाई, जल स्रोतों की क्षति, खनिज संसाधनों की समाप्ति आदि
- पर्यावरणीय क्षति = वायु और जल प्रदूषण, कार्बन उत्सर्जन, जैव विविधता की हानि आदि
ग्रीन GNP की आवश्यकता क्यों है?
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पारंपरिक GNP की सीमाएँ
- सामान्य GNP आर्थिक गतिविधियों को मापता है, लेकिन पर्यावरणीय क्षति को अनदेखा करता है।
- यदि वनों की कटाई से लकड़ी का व्यापार बढ़ता है, तो GNP बढ़ेगा, लेकिन इससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ जाएगा।
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सतत विकास का लक्ष्य
- संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुसार, आर्थिक विकास पर्यावरणीय स्थिरता के साथ होना चाहिए।
- ग्रीन GNP से यह सुनिश्चित किया जाता है कि आर्थिक प्रगति प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किए बिना हो।
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नीति निर्माण में सहायता
- सरकारें पर्यावरण-अनुकूल नीतियाँ बना सकती हैं, जैसे कि कार्बन टैक्स, हरित ऊर्जा निवेश, और टिकाऊ कृषि।
- प्रदूषण नियंत्रण और संसाधन संरक्षण में सुधार किया जा सकता है।
ग्रीन GNP के लाभ
✔ पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देता है।
✔ सतत विकास और आर्थिक स्थिरता में मदद करता है।
✔ प्राकृतिक संसाधनों के मूल्य को अर्थव्यवस्था में शामिल करता है।
✔ नीति निर्माताओं को बेहतर निर्णय लेने में सहायता करता है।
निष्कर्ष
ग्रीन GNP, पारंपरिक GNP की तुलना में बेहतर आर्थिक संकेतक है, क्योंकि यह पर्यावरणीय क्षति और संसाधन ह्रास को ध्यान में रखता है। भारत जैसे देशों के लिए, जहाँ जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी गंभीर मुद्दे हैं, ग्रीन GNP को नीति निर्माण और आर्थिक योजनाओं में शामिल करना आवश्यक है।
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