क्या आप इस बात से सहमत हैं कि स्थिर जीडीपी वृद्धि और कम मुद्रास्फीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अच्छी स्थिति में रखा है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण बताइए । Do you agree that stable GDP growth and low inflation have placed the Indian economy in good position? Give reasons in support of your arguments.

परिचय

स्थिर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि और नियंत्रित मुद्रास्फीति किसी भी अर्थव्यवस्था की स्थिरता और समृद्धि के महत्वपूर्ण संकेतक हैं। भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, ने हाल के वर्षों में मजबूत आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति नियंत्रण को संतुलित करने का प्रयास किया है। यह स्थिति कई मायनों में देश की आर्थिक सेहत के लिए सकारात्मक रही है।


भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता के पक्ष में तर्क

1. निवेश और व्यापार के लिए अनुकूल माहौल

  • स्थिर GDP वृद्धि से घरेलू और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ता है, जिससे भारत में FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) और FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) का प्रवाह बना रहता है।
  • कम मुद्रास्फीति के कारण नीतिगत स्थिरता बनी रहती है, जिससे व्यापार और औद्योगिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से चलती हैं।

2. उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास में वृद्धि

  • स्थिर आर्थिक वृद्धि का अर्थ है कि रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, मजदूरी में सुधार होता है, और उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बनी रहती है।
  • कम मुद्रास्फीति से उपभोक्ताओं का खर्च संतुलित रहता है, जिससे मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रहता है।

3. राजकोषीय संतुलन और सरकारी व्यय में वृद्धि

  • स्थिर GDP वृद्धि से सरकार को अधिक कर राजस्व प्राप्त होता है, जिससे वह बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में अधिक निवेश कर सकती है।
  • कम मुद्रास्फीति के कारण सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बनी रहती है, क्योंकि बढ़ती कीमतें कल्याणकारी योजनाओं की लागत को प्रभावित नहीं करतीं।

4. सामाजिक स्थिरता और गरीबी उन्मूलन

  • मजबूत आर्थिक वृद्धि का सीधा प्रभाव रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन पर पड़ता है।
  • यदि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहे, तो आय असमानता को कम करने और गरीब वर्ग की क्रय शक्ति बनाए रखने में सहायता मिलती है।

5. रुपये की स्थिरता और बाहरी कारकों से सुरक्षा

  • स्थिर GDP वृद्धि और नियंत्रित मुद्रास्फीति से रुपये का मूल्य स्थिर रहता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है
  • यह भारत को वैश्विक वित्तीय संकटों और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसी बाहरी अस्थिरताओं से सुरक्षित रखता है।

कुछ चुनौतियाँ और नकारात्मक प्रभाव

हालाँकि स्थिर GDP वृद्धि और कम मुद्रास्फीति आर्थिक स्थिरता के संकेतक हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं:

  1. रोजगार सृजन की धीमी गति

    • भारत में GDP वृद्धि के बावजूद, रोजगार वृद्धि (Jobless Growth) की समस्या बनी हुई है।
    • कई उद्योगों में स्वचालन (Automation) और डिजिटलाइजेशन के कारण श्रम-प्रधान नौकरियाँ प्रभावित हो रही हैं।
  2. ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

    • यदि मुद्रास्फीति अत्यधिक नियंत्रित हो, तो किसानों और छोटे उद्यमों की आय में वृद्धि धीमी हो सकती है।
    • कृषि उत्पादों की कीमतें कम रहने से कृषि क्षेत्र को नुकसान हो सकता है।
  3. वैश्विक कारकों का प्रभाव

    • भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक स्थितियों, व्यापार युद्धों और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से प्रभावित हो सकती है।
    • यदि वैश्विक मांग में गिरावट आती है, तो भारत की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है।
  4. मुद्रास्फीति की अधिकता या कमी दोनों नुकसानदायक

    • अत्यधिक कम मुद्रास्फीति का मतलब यह हो सकता है कि आर्थिक गतिविधियों में ठहराव आ गया है।
    • यदि मांग कमजोर होती है, तो यह उत्पादन और औद्योगिक विकास को प्रभावित कर सकती है।

निष्कर्ष

इस बात से सहमत हुआ जा सकता है कि स्थिर GDP वृद्धि और कम मुद्रास्फीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक मजबूत स्थिति में रखा है। इससे निवेश, उपभोक्ता विश्वास, राजकोषीय स्थिरता और सामाजिक समृद्धि को बढ़ावा मिला है। हालाँकि, यह भी आवश्यक है कि इस विकास के साथ रोजगार सृजन, ग्रामीण विकास और आय असमानता को भी ध्यान में रखा जाए।

सरकार को ऐसी नीतियाँ अपनानी चाहिए जो संतुलित मुद्रास्फीति, समावेशी विकास और सतत आर्थिक प्रगति को सुनिश्चित करें, ताकि भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ सके।

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